दिल्ली व्यूरो
नई दिल्ली गुरुवार को दोपहर बाद देश में बिजली की मांग रिकॉर्ड 204 गीगावॉट के स्तर तक पहुंच चुकी थी। मौसम विभाग ने अगले चार दिनों तक सूरज से आग के गोले बरसने का अनुमान लगाया है, जिससे अंदाजा लग सकता है कि बिजली की मांग किस स्तर तक पहुंचने वाली है। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री के मुताबिक कोरोना से पूर्व के स्तर पर देखें तो कोयले की सप्लाई 16% बढ़ाई जा चुकी है, लेकिन इसकी मांग 20% तक बढ़ चुकी है। लिहाजा देश भर के राज्यों में थर्मल पावर प्लांट में कोयले की किल्लत हो रही है और जिसके चलते कुछ राज्यों में बिजली की कटौती की नौबत आने की बात कही जा रही है। राजधानी दिल्ली में तो राज्य सरकार ने ही हाहाकार मचाना शुरू कर दिया है। हमारे पास पर्याप्त कोयला- केंद्र पावर प्लांट में कोयले की किल्लत पर केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने कहा है कि कुछ के यहां लॉजिस्टक दिक्कतें हैं, लेकिन कोयला पर्याप्त है। वो बोले कि ‘पावर प्लांट में हमारे पास रिजर्व स्टॉक में 21 मिलियन टन कोयला है, जो कि 10 दिनों के लिए पर्याप्त है।’ उन्होंने मांग में इजाफे की बात मानते हुआ कहा कि ‘प्री-कोविड लेवल पर कोयले की सप्लाई 16% बढ़ी है, जबकि मांग में 20% बढ़ोतरी हुई है।’ लेकिन, उन्होंने साथ में यह भी कहा है कि जो राज्य लोड शेडिंग कर रहे हैं, वह लोगों की दिक्कतों को नहीं समझ रहे हैं और उन्होंने उनकी ओर (राज्यों की ओर )से बिजली नहीं खरीदे जाने का हवाला दिया है। दिल्ली में बिजली संकट गुरुवार को दिल्ली सरकार ने दिल्ली मेट्रो से लेकर अस्पतालों तक को निर्बाध बिजली सप्लाई करने को लेकर चेतावनी जारी कर दी। दिल्ली के ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन ने पावर प्लांट में कोयले की कमी की बात कहते हुए केंद्र से इसकी आपूर्ति की गुजारिश की है। दिल्ली सरकार के बयान के मुताबिक, ‘दादरी-2 और ऊंचाहार पावर स्टेशनों से बिजली की आपूर्ति बाधित होने से दिल्ली मेट्रो और दिल्ली सरकार के अस्पतालों समेत आवश्यक संस्थाओं में 24- घंटे बिजली सप्लाई में दिक्कत आ सकती है।’ जैन के मुताबिक दिल्ली में बिजली की डिमांड की 25 से 30 फीसदी तक आपूर्ति इन्हीं बिजली उत्पादन केंद्रों से होती है, लेकिन इनमें कोयले की कमी है। पंजाब में 40% मांग बढ़ी- राज्य सरकार पंजाब में किसी मजदूर संघर्ष समिति ने खेती के लिए पर्याप्त बिजली नहीं मिलने की सूरत में शुक्रवार को अमृतसर में बिजली मंत्री के घर के बाहर प्रदर्शन करने की घोषणा कर रखी है। पंजाब के ऊर्जा मंत्री हरभजन सिंह का कहना है कि तापमान बढ़ने की वजह से पिछले साल इस अवधि के मुकाबले इस बार बिजली की मांग में 40% की बढोतरी हो गई है। विपक्ष का कहना है कि बिजली की कटौती के चलते किसानों, उद्योगों और आम उपभोक्ताओं को भारी परेशानी हो रही है। यूपी में 38 साल में सबसे भीषण बिजली संकट उत्तर प्रदेश में भी बिजली संकट के बादल छाए हुए हैं, क्योंकि थर्मल पावर स्टेशनों कोयले का जितना स्टॉक रहना चाहिए, राज्य में उसके एक-चौथाई के बराबर ही कोयला बचा हुआ है। जानकारी के मुताबिक राज्य सरकार की स्वामित्व वाले राज्य विद्युत निगम में कोयले की किल्लत की स्थिति ये है कि जितना कोयला स्टॉक में रहना चाहिए, उसका सिर्फ 26% ही बचा हुआ है। दरअसल, अप्रैल महीने में बिजली की मांग ने राज्य में 38 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। पिछले साल अक्टूबर में जो कोयले की दिक्कत आई थी, तब प्रदेश में बिजली की 1.1% की कमी हुई थी। लेकिन, अप्रैल महीने के पहले पखवारे में ही चुभती गर्मी की वजह से बिजली की किल्लत 1.4% तक पहुंच गई। हालांकि, फिर भी आबादी के हिसाब से तुलना करें तो यूपी बेहतर स्थिति में कहा जा सकता है। राजस्थान में गहलोत सरकार ने दिए बिजली कटौती के आदेश लू के थपेड़ों से परेशान रेगिस्तानी राज्य राजस्थान में बिजली की कीमतों ने राज्य की अशोक गहलोत सरकार को राज्य में बिजली कटौती का औपचारिक रास्ता निकालना पड़ गया है। राज्य सरकार ने गांवों में 3 घंटे, जिलों में 2 घंटे और डिविजन स्तर पर 1 घंटे बिजली काटने का फैसला किया है। राज्य के ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी ने कहा है, ‘कोयले की किल्लत पूरे देश में है। हम 15 रुपये प्रति यूनिट दे रहे हैं, लेकिन हमें फिर भी बिजली नहीं मिल पा रही है।’ इसी तरह आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, झारखंड और हरियाणा जैसे राज्यों में भी 3 से 8.7% तक बिजली कटौती हो रही है। केंद्र के मुताबिक बिजली है, राज्य खरीद नहीं रहे इस वक्त देश में जो राज्य सबसे ज्यादा कोयले की किल्लत झेल रहे हैं, उनमें दिल्ली, पंजाब समेत अन्य राज्य भी शामिल हैं। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह का कहना है कि कई राज्य जो लोड शेडिंग कर रहे हैं, उनपर कोयले का बहुत ज्यादा बकाया है, फिर भी कोल इंडिया उन्हें कोयला उपलब्ध करवा रहा है। उनके मुताबिक ‘ऐसे राज्य बिजली खरीदने की जगह लोड कम करने की विकल्प चुन रहे थे। ‘ उन्होंने यह भी कहा है कि ‘सिस्टम में मांग पूरा करने की क्षमता है, जैसा कि पीक डिमांड पूरा होने से पता लग जाता है। एक्सचेंजों पर 12 रुपए प्रति यूनिट की दर से टैरिफ कैप के साथ बिजली उपलब्ध है। फिर भी वे नहीं खरीद रहे हैं और लोड शेडिंग कर रहे हैं।’ वहीं ऊर्जा सचिव आलोक कुमार का कहना है कि अभी भी सेंट्रल पूल से 4,000-5,000 मेगावॉट उपलब्ध है। अगर कोई राज्य चाहता है तो हम आवंटित कर सकते हैं, ‘लेकिन, हमें कहीं से मांग नहीं मिली है। ‘ इसे भी पढ़ें-दिल्ली के कई बिजली संयंत्रों में सिर्फ एक दिन का कोयला, केजरीवाल बोले- पूरे भारत में स्थिति गंभीर राज्यों पर कोयले का बकाया (करोड़ रुपये में) अगर राज्यों पर कोयला बिल के बकाए की लिस्ट देखें तो काफी कुछ स्पष्ट हो सकता है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक महाराष्ट्र (2,608), पश्चिम बंगाल (15,09.3), झारखंड (1,018.2), तमिलनाडु (829.9), मध्य प्रदेश (531.4), राजस्थान (429.5), आंध्र प्रदेश (271), उत्तर प्रदेश (213.8), छत्तीसगढ़ (202.8) और कर्नाटक पर (134.6) करोड़ रुपये कोयले का बकाया है।